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मध्यप्रदेश/भिण्ड - कौन सुने फरियाद, एक बेटे को मगर ने शिकार बनाया, दूसरा बेटा सदमे में कोमा में गया

 मध्यप्रदेश/भिंड - ( हसरत अली ) -  अब हमाई कोउ ना सुनत। अधिकारी बोल्त हैं। नदी किनारे आ उत काय कों। अरे जब हमरी ज़मीन नदी किनारे हैं तो हम तो किसान हैं। इति खेती करवे तो आना ही पड़े। यह कहते हुए 86 वर्षीय मृतक के पिता आंखों में आंसू भर रो पड़े। पिता अकबर सिंह यादव बहुत दुखी है। एक तो जवान बेटा मगर का शिकार हो गया। दूसरा बेटा उसकी सदमे में घटना के दिन से ही कौम में चल गया। पिछले 26 दिन से  उसका इलाज ग्वालियर में चल रहा है। परिवार मैं दो बच्चे हैं। कभी अपने पिता को याद करते हैं। तो कभी ताऊ की बीमारी में लग जाते हैं। खेतों में बाजरा खड़ा सूख रहा है। न प्रशासन ने कोई गुहार सुनी न मदद की आस दिलाई।  मिला है तो सिर्फ आदेश कि अपने खेतों पर भी ना जाए। क्योंकि वह जमीन वन विभाग (ESZ) इको सेंसेटिव जोन यानी प्राकृतिक अति संवेदनशील एरिया में है।



जी हां, मैं बात कर रहा हूं ग्राम साहिबे का पूरा की जहाँ 25 सितंबर की दोपहर नदी किनारे अपने खेत को फसल वाबनी के लिए तैयार करते हुए किसान हीरालाल यादव को चंबल नदी के मंगर ने अपना शिकार बना लिया था। उक्त घटना देखकर मृतक के भाई राम प्रकाश यादव कोमा में चले गये। हालात आज भी गंभीर बनी हुई है। उनको जिला चिकित्सालय भिंड में कुछ दिन इलाज देकर ग्वालियर रेफर कर दिया गया है। वह आज भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। परिवार में बुजुर्ग पिता रुदन भरे स्वर में कहते हैं। 

एक तो जवान बेटा चला गया। दूसरा उसके सदमे से बीमार, ग्वालियर हॉस्पीटल मैं जीवन से जद्दोजहद कर रहा है। लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं। स्थिति अब भी गंभीर है। उस पर प्रशासन की यह दलील के नदी किनारे जाते क्यों हो? ,,,,,,अरे जब हमारी जमीन है वहां! तो हम कहां जाएं? क्योंकि उसी के पीछे हमारे परिवार का भरण पोषण होता है। यह कहते हुए साहिबे पुरा के निवासी जईफ अकबर अपनी आंखों में आंसू भर लाते हैं। उनके आंसू आज भी शासन प्रशासन से कोई सहायता की बाटजोह रहे है। लेकिन जिला प्रशासन की अपनी दलीलें है।


*बॉडी नहीं मिली, पीएम रिपोर्ट नही है।*

प्रशासन मानता है कि सहायता किस वेस पर दी जाय है। मंगर का शिकार हुए हीरालाल का कोई शव ? कोई निशानी? और न ही चंबल नदी से किसी भी प्रकार की म्रतक की कोई चीज़ प्राप्त हुई है। तो किस आधार पर सहायता दी जाए? 

लेकिन मोके पर मौजूद चश्मदीद चरवाहे रामविलास यादव, रामबरन  यादव मानते हैं। कि हमने देखा है मंगर को पानी में घसीट कर हीरा को ले जाते। ढूंढने के बाद म्रतक का शव नहीं  मिला ये अलग बात है। फिर भी प्रशासन यह मानने को तैयार नहीं है। हालांकि रेस्क्यू टीम ने डेड बॉडी को ढूंढने का भरसक प्रयास किया।


*अगर आवेदन आएगा।कार्रवाई कर आगे बढ़ाऐंगे।*


संबंधित थाना क्षेत्र फूंफ़ के थाना प्रभारी रविंद्र तोमर।  कहते हैं। हमारे पास कोई शिकायत नहीं आई। अगर कोई आवेदन प्राप्त होता है। तो मैं कार्रवाई कर उसको आगे बढ़ा दूंगा। परिवार के कोई सदस्य मुझे आवेदन एक लिखित में दे जाए। हालांकि यह मेरा काम नहीं है ना मेरे हाथ में है। ये वन विभाग करेगा।



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