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मध्यप्रदेश/भिण्ड - मातृवेदी के संस्थापक का बनेगा स्मारक, वे स्वतन्त्रा संग्राम के महानायक थे : कमलनाथ


 मध्यप्रदेश/भिंड - ( हसरत अली ) -  स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और आज़ादी के लिए बलिदान देने वाले गुप्त क्रांतिकारी दल मातृवेदी के संस्थापक रहे गेंदालाल दीक्षित की स्मृति में स्मारक बनवाएंगे। ये उद्गार मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मेहगावँ विधानसभा मे एक चुनावी रैली के दौरान सभा को संबोधित करते हुए मंच से कहे। वे मेहगावँ कोंग्रेस प्रत्याशी हेमन्त कटारे के समर्थन में अमायन सभा को संबोधित करने पहुचे थे। 


हाल ही में तीन हजार किमी साइकिल से यात्रा करने वाले लेखक शाह आलम ने मातृवेदी संस्था और गेंदालाल दीक्षित के जीवन व योगदान पर केंद्रित दस्तावेजी पुस्तक प्रकाशित की है। 


लेखक आलम ने बताया कि रैली के दौरान की गई घोषणा स्वागत योग्य है। यह वर्ष मातृवेदी के कमांडर इन चीफ गेंदालाल दीक्षित का बलिदान शताब्दी वर्ष है, ऐसे में उन्हें याद किये जाने और उनके किसी स्थायी प्रतीक को स्थापित करने का इससे बेहतर अवसर नहीं आयेगा। 


उन्होंने ने कहा कि यह चंबल घाटी ‘क्रांतिवीरों की पौधशाला’ रही है।  स्वाभिमान व स्वदेश प्रेम की कसौटी पर हर सदी में यह चंबल घाटी खरी साबित हुई है। लेकिन अफसोस यह है कि स्वाधीनता संग्राम में इस घाटी ने जो अनगिनत वीर दिए, उनमें से अधिकतर बीते वक्त के साथ भुला दिए गए। आजादी के इतने वर्ष बाद भी कितने ही इतिहास, कितनी ही शौर्य गाथाएं चंबल घाटी के भरखों में दफ्न हैं। अगर घाटी से जुड़े स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास का अनावरण हो जाए तो समाज न जाने कितने ही नायकों के चरित्र, उनकी शौर्य  गाथाओं और उनके बलिदान से परिचित हो जाएगा, और इस गौरवशाली इतिहास पर पर्दा डालने वाले बेपर्दा हो जाएंगे।


क्रांतिकारियों के गुरू कहे जाने वाले गेंदालाल दीक्षित घाटी के उन महानायकों में से हैं, जिनके साथ तारीख लिखने वालों ने न्याय नहीं किया। 


शाह आलम की पुस्तक 'कमांडर-इन-चीफ गेंदालाल दीक्षित' के न सिर्फ रोमांचकारी जीवन से साक्षात्कार कराती है| बल्कि यह पुस्तक ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध उत्तर भारत में हुई सशस्त्र क्रांति की तैयारी का दस्तावेजीकरण है।

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