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मध्यप्रदेश/भिण्ड - किसान आंदोलन को तोड़ने में लगी भाजपा सरकार : दीक्षित


 

भिण्ड -(हसरत अली)- किसान विरोधी भाजपा सरकार के द्वारा किसान आंदोलन को तोड़ने की सभी कोशिशें नाकाम साबित होने पर वह आंदोलनकारी किसानों को खालिस्तानी, आतंकवादी, पाकिस्तानी-चीन समर्थक, अर्बन नक्सल, वामपंथी, कांग्रेसी, आदि बताकर देश की जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है। जो निंदनीय ही नहीं शर्मनाक भी है।

 ये तीनों काले कानूनों को जबरन देश के किसानों पर थोपने वाली मोदी सरकार स्पष्ट करे कि यह किसान हितेषी कहाँ से हैं। जबकि उनके सबसे पुराने घटक अकाली दल इन कानूनों को किसान विरोधी बता रहा है।


वर्तमान में मोदी सरकार को समर्थन दे रहे NDA में शामिल राजस्थान से सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी मोदी सरकार को 3 दिन का अल्टीमेटम दिया है कि इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लो। क्योंकि कहीं से भी किसानों के हित में नहीं है।यह पूँजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाले कानून हैं।

 उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती तो वह सरकार से समर्थन वापस लेकर लाखों किसानों को साथ आंदोलन में कूच करेंगे। अगर सरकार द्वारा बनाए गए कानून किसान हितेषी हैं तो मोदी सरकार के समर्थक इसे किसान विरोधी क्यों बता रहे हैं।

 इधर भाजपा इसे किसान हितेषी कानून साबित करने पर तुली हुई है। इन सब को नजरअंदाज कर भाजपा देश में 700 किसान चौपाल लगाने की तैयारी कर किसानों को भ्रमित करने की कोशिश में जुट गई है। 

इससे स्पष्ट होता है कि यह नई कृषि नीति के तहत बनाए गए किसान विरोधी कानून पूँजीपति हितेषी हैं, इन कानूनों से कृषि प्रधान देश का किसान और उसकी किसानी दोनों ही बर्बाद हो जाएंगे। अपने अस्तित्व को बचाने के लिये आज देश के लाखों किसान ही नहीं किसानों के साथ देश का किसान पुत्र जवान भी आंदोलन में उतर आये है। 

अभी हाल ही में किसान आंदोलन के समर्थन में देश के 25000 जवानों ने अपने मेडल  राष्ट्रपति महोदय को वापस लौटाने के लिए मिलने का अनुरोध किया है, जो कि कॉरपोरेट परस्त अडानी अंबानी की यार मोदी सरकार के लिए अति शर्मनाक है। उक्त बयान मध्यप्रदेश किसान सभा जिला अध्यक्ष राजीव दीक्षित ने प्रेस को जारी बयान में कहे। 

किसान नेता दीक्षित ने आगे बताया कि आज देश का किसान इन काले कानूनों को समझ चुका है और अपने अधिकारों के लिए जागरूक है। अतः मोदी सरकार से अपील है कि अपनी जिद को छोड़कर किसान विरोधी  कानूनों को रद्द कर देना चाहिए। ताकी किसानों को फसलों का सही मूल्य मिल सके। इसलिए MSP गारंटी कानून लागू कर देना चाहिए।,


 

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