भिण्ड - क्या इसी वक़्त मास्क की डोरी को टूटना था ?
भिण्ड - ( हसरत अली ) - "मेरी घर की मुफलिसी को देखकर बदनसीबी सिर पटकती रह गई। एक दिन की मुख़्तसर बारिश के बाद छत कई दिनों तक टपकती रह गई।" किसी शायर की ये लाइनें उस गरीब मजदूर इंसान पर कितनी फिट बैठती है कि जिस जगह जिला प्रशासन खड़ा हो और वहां उसके मास्क की एक तनी टूट जाए, और वो उसको जोड़ने में घंटों जद्दोजहद करता रहे ।
जहाँ ज़िले के आला अधिकारी मौजूद हों। तब लगता है कि हमारा जिला प्रशासन देखता तो है लेकिन क्या,,,,,,? ऐसे ही हालात सोमवार की शाम जिला चिकित्सालय में पेश आए जहां ऑक्सीजन टैंक को रखवाने आए हैं एक गरीब मजदूर की मास्क की बद्दी उस वक्त टूट गई जब वो ऑक्सीजन टैंक को तरवा रहा था।
इधर अधिकारियों का डर मुंह पर मास्क लगाना जरूरी है। बस इसी डर से वह अपने मास्क की टूटी हुईं तनी जोड़ने में लगा रहा। वहीं खड़े तीनों जिले के,आला अधिकारी इस घटनाक्रम को देखते रहे लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि इसको दूसरा मास्क मंगवा के दे दिया जाए। हालांकि इस दौरान एसपी मनोज सिंह जी ने जरूर कुछ कहा वो आवाज़ उसके कानों तक नहीं पहुची।सवाल वही कि इंसान को "थ्योरीकल" के साथ "प्रैक्टिकली" भी होना कितना ज़रूरी है ।
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