भिण्ड - राज्यमंत्री के क्षेत्र में पीने के पानी की विकराल समस्या
भिण्ड - ( हसरत अली ) - सरकार में राज्यमंत्री और क्षेत्र में पीने के पानी की विकराल समस्या। आज़ादी के सात दसक बाद भी पानी की किल्लत, मेहदा गांव के ग्रामीण ढेड़ किलोमीटर दूर जंगल से ढो कर लेते है पाने का पानी ।
एक और सरकार जहां आप निर्भर भारत, डिजिटल इंडिया जैसे कई सपने दिखा रही है, तो वहीं दूसरी ओर आज भी कई गांव के लोग पीने के पानी के लिए तरसते नजर आ रहे हैं।
मामला भिंड जिले के मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के रौन जनपद के अंतर्गत आने वाले मेहदा गांव का है जहां ग्रामीण आजादी के समय से लेकर अब तक पीने के पानी के लिए परेशान हो रहे हैं।
जब न्यूज टुडे 24 की टीम ग्राम मेहदा गांव पहुंची तो चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई, जहां गांव से डेढ़ किलोमीटर दूर जंगल से लोग पीने वाले पानी से जद्दोजहद करते नज़र आये। बच्चे बूढ़े और जवान कुएं से पानी भरकर लाते दिखाई दिए।
समस्या से जूझते ग्रामीणों का कहना था कि जिन घर में युवक हैं वहां तो सुबह शाम पानी लाना संभव होता है परंतु बहुत से घर ऐसी हैं जिनके यहाँ युवक नहीं है वहाँ छोटे बच्चे जिनके हाथों में किताब और कलम होना चाहिए उनके हाथों में पानी के बर्तन सुबह से दिए जाते है जिससे पानी की किल्लत से को कुछ हल्का किया जा सके।
इस दौरान कई बुजुर्ग इसे भी नज़र आये जो उम्र के आखिरी पड़ाव पर होने के बावजूद भी पानी से दो चार होते दिखे। उनका कहना था डेढ़ किलोमीटर का लंबा सफर पानी भरते गुज़रता हैं, वृद्ध होने के कारण उन्हें कई बार रास्ते में सुस्ताना भी पड़ता है, ऐसे ही एक बुजुर्ग हामिद खान से हमारी मुलाकात हुई। उन्होंने कहा आजादी के समय से लेकर आज दिन तक हम पानी के लिए परेशान हैं, कई सरकारें आई और चली गयी लेकिन मेहदा में हम लोगो की किसी ने नहीं सुनी।
उन्होंने ने आगे कहा है हमारी विधानसभा क्षेत्र से कई विधायक मंत्री भी चुने जा चुके हैं। लेकिन पानी की विकराल परेशानी जस की तस है। ग्रामीणों ने कहा वर्तमान में हमारे विधायक ओपीएस भदौरिया है जो सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए हैं जिन्हें हम लोगों ने वोट भी दिए चुनाव के समय कई वादे भी किए, लेकिन आज दिनांक तक सिर्फ एक वादा जो पानी के लिए किया था वह पूरा नहीं किया।
मेहदा गांव के इर्दगिर्द पूरा बीहड़ है जिसे फिल्मी दुनिया डाकुओं पर आधारित फिल्मों में दिखाया जाता है, उन्हीं बीहड़ों में विवश होकर बेटियो और महिलाओं को पानी भरने के लिए जाना पड़ता हैं। जो खतरे से खाली नहीं है। जबकि सरकार के द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और महिला के आत्म सम्मान और सुरक्षा के लिए कई योजनाएं दम्भ हांके जा रहे हैं, इससे लगता है भिंड जिले में योजनाएं खोखली साबित दिखाई देती है। जंहा मेहदा ग्राम में आज भी बेटियां और महिलाएं दूर जंगल से पानी लाने को मजबूर हैं।
जबकि मेहदा गांव से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर सिंध नदी बह रही है वहां पर भी माफियाओं का 24 घंटे कब्जा रहता है जहां अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हो रही है और नदी से पनडुब्बी एवं पोकलेन जैसी बड़ी मशीनों से निकाला जा रहा है जिससे वाटर लेवल प्रतिवर्ष डाउन होता चला जा रहा है इससे पूर्व सिंध नदी की धार भी टूट चुकी है लेकिन शासन प्रशासन का ओर से इस ओर भी ध्यान नहीं गया है।प्रकृति के साथ खिलवाड़ न किया जाए अवैध रेत उत्खनन पर रोक लगाई जाए नहीं तो आने वाले समय में इसका परिणाम सब को भुगतना पड़ेगा।
लोग मानते हैं सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की हो प्रकृति से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ आज दिन तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। आगे अगर नदियों को जंगलों को नहीं बचाया गया तो मेहदा ह नहीं न जाने कितने गांव ऐसे होंगे जो पानी की बूंद बूंद के लिए तरसते दिखाई देंगे।
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