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भिण्ड - पीएम आवास हेतु पति कार्यालय के चक्कर लगाते- लगाते चल बसे - मिथिलेश


भिंड - ( हसरत अली ) -  बे घर होकर प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन डाला और चक्कर लगाते लगाते 3 साल गुजर गए, इस दौरान पति भी बीमार हो गए, वह भी हमारा साथ छोड़ गए अब पांच बेटियों के साथ गिरस्ती का बोझ लेकर जिंदगी जीने की मजबूर पीड़ित मिथिलेश अपना दुखड़ा सुनाते सुनाते रो पड़ती है।

 दरअसल मामला है भिंड से मात्र 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत नयागांव का जहां मिथिलेश पत्नी स्वर्गीय जगदीश शक्यवार एक टीलेनुमा झोपड़ी के अंदर अपनी पांच बेटियों के साथ रह रही है। उसने बताया यह मिट्टी का टीला खोद कर एक महीने में रहने लायक कमरे जैसा (गुफा) बना लिया है। उसके आगे घास से टूटे तीन तप्परो को डालकर जीवन गुजार रहे हैं। 

पूछने पर उसने बताया कि परिवार के लोगो ने हमारे पति जगदीश को उनका हिस्सा नही दिया। फिर एक आदद प्रधानमंत्री आवास के लिए के पति स्वर्गीय जगदीश 3 साल तक कार्यालय के चक्कर लगाते रहे। लेकिन आवास नही मिला। इसी बीच वह गंभीर बीमार गिरषित होगये और स्वर्गवास हो गया। 

पीड़ित मिथलेश झोपडी में अपने बच्चियों के साथ बैठी बतातीं है आज रहने के अलावा खाने पीने की भी भारी किल्लत है। एक बीपीएल राशन कार्ड है उससे थोड़ा सा गल्ला मिल जाता है। लेकिन मकान बनाने लायक पैसे नहीं है। सचिव और सरपंच के आश्वासन ही अब तक हाथ लगे हैं। 

सारा दिन मजदूरी कर बच्चों के लिए पेट भरने लायक कर लेती हूँ। रोते रोते पीड़ित मिथलेश कहतीं है कि क्या करे ऐसी शासन की योजनाओं का जो गरीबों को न मिल सके। मिथिलेश बताती है 3 साल गुजर गए अभी तक कोई सचिन ने जवाब नहीं दिया है। अब थक कर घर बैठ गए हैं।


कथन,,,

     हमाये पास आवेदन आओ थो,पोर्टल चालू नहीं है। जब हो जाएगो तब देखेंगे, 3 साल हो गए हैं कछु काम में कोउ समय लगाता।

    ----राम भवन सिंह सचिव नयागांव,भिंड।

कथन,,,

मेरी जानकारी में नहीं है सचिव से बात करके बताते हैं क्या मामला है अब आपने बताया तो जल्दी से जल्दी आवास करवा देंगे।

----- महेंद्र सिंह, सरपंच नयागांव, भिंड।

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