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भिण्ड - आजादी के सात दसक बाद भी नसीब नहीं गाँव को मुक्ति धाम


भिण्ड - ( हसरत अली ) -  जिले के रोन जनपद पंचायत में एक ऐसा कस्बा भी है जहां आजादी के साथ दशक बाद एक मदद मुक्तिधाम शासन मुहैया नहीं करा सका। इस कारण लोग अर्थी सजाने के पहले वहा छाया का इंतज़ाम करते है। जी है मैं बात कर रहा हूँ ग्राम पंचायत मछंड की जहां आजादी 75 साल बीत जाने के बाद भी एक अदद मुक्तिधाम नसीब नहीं हो सका,यहाँ लोग आज भी अर्थी अंतिम संस्कार के लिए अपने साथ टीन टप्पर या छाया करने के लिए इन्तज़ाम के लेकर साथ चलते है।


*जबकि 12 बीघा जमीन मुक्तिधाम को दान में मिली है।*

 गौरतलब है कि मछंड में मुक्तिधाम के लिए स्वर्गीय राजा नरेंद्र सिंह जूदेव ने साडे 12 बीघा जमीन दान कर दी है फिर भी उस जमीन पर मुक्ती धाम का निर्माण नही कराया गया है जब कि कुछ जमीन पर उप स्वास्थ्य केंद्र बनवा दिया गया है। बाकी जमीन गंदगी और बड़े-बड़े गड्ढे में तब्दील हो गयी है। वहाँ घास घूस के जाड़ झाँकड खड़े हो गए हैं। इस कारण स्थानीय लोगो को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

 ऐसा ही एक माँमला ग्राम पंचायत मछंड के मजरा इटाई का है यहाँ स्थानीय परिवार मे रामेश्वर जगदीश बघेल के पिता राम सिंह बघेल का रात्रि स्वर्गवास हो गया जिनके अंतिम संस्कार के लिए लोगो को रात भर पानी बंद होने का इंतज़ार करना पड़ा । जब पानी बरसना बंद नही हुआ तो स्थानीय लोगो ने गुरुवार दोपहर तरीबन 11:00 बजे त्रिपाल तन कर उनका अंतिम संस्कार कराया। इस व्यवस्था को देख कर नाते रिश्तेदारों व ग्राम वासियो में खासी नाराज़गी देखी जा रही है। वहीं सुनील दीक्षित, बबलू राजावत, जितेंद्र यादव, राजा साहब, राजेंद्र कुमार गुप्ता आदि स्थानीये लोगो का कहना है कि शासन से कई बार गुहार लगाई ,अधिकारियों को जानकारी दी, लेकिन मुक्तिधाम नहीं बन सका।


*एक चबूतरा तक नहीं है* 

परेशानी के जूझते बुज़ुर्ग बताते है।कि यहाँ टीन सेट, हेड पंप, यहाँ तक कि एक चबूतरा तक नही है ऐसे में वृद्ध जन हमेशा भगवान से प्रार्थना करते है "हे ईश्वर हमारे प्राण लो तो बरसात में न लेना" हमारे बच्चे हमारी अर्थी को कंधे कैसे देगे, कहाँ ले जायेंगे, गाँव मे मुक्ति धाम नहीं है हमारी लाश को अग्नि भी नसीब नहीं होगी।

 

*ब-मुश्किल हुआ अंतिम संस्कार*

गुरुबर हुई घटना को लेकर लोगो ने बताया मृत्यु के समय से ही रिमझिम रिमझिम बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी। जब काफी समय तक बारिश नही रूकी तो बड़ी मुश्किल से दाह संस्कार संभव हो सका।


भिण्ड से हसरत अली की रिपोर्ट।

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