भिण्ड - गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रशासन द्वारा हुई चूकों से खड़े हुए गम्भीर सवालों ने दिए बड़े संदेश
भिंड - (हसरत अली ) - गणतंत्र दिवस 26 जनवरी यानी बुधवार का दिन प्रशासन की लापरवाही पूर्ण चूकों से भरा दिन रहा। इस बे परवाह की कार्यशैली ने प्रशासन के सामने खड़े किए कई गंभीर सवाल। क्या इन गलतियों से सबक लेगा सरकारी महकमां। या यूं ही हमेशा की तरह इन गलतियों पर पर्दा डाल कर आगे बढ़ जाएगा।
जी हां मैं कर रहा हूं गणतंत्र दिवस वाले दिन की जिस दिन ज़िले के आला अधिकारियों के तमाम दावों की पोल खुलती हुई नजर आई कि प्रशासन किस तरह की सतर्कता बरते का आदेश जारी करता है अपनी व्यवस्थाओं में। लेकिन कैसे,,? जबकि गणतंत्र दिवस वाले दिन पुलिस लाइन परेड ग्राउंड पर जब प्रभारी मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत मुख्यमंत्री का संदेश वाचन कर रहे थे तभी अचानक एक सांड और गाय 2 दर्जन से अधिक सुरक्षाकर्मियों का सुरक्षा घेरा तोड़ प्रांगण में आकर कूंद गए और लगभग 5 मिनट घेराबंदी और हाँका- हाँकी के बाद उन पशुओं को प्रांगण से ब-मुस्किल बाहर निकाला जा सका ।
हालांकि इस दौरान एक प्रधान आरक्षक उम् दराज उर्फ फौसू व आरक्षक राहुल सिंह तोमर घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इससे प्रशासन बड़ी चूक मानता है।
वही नेशनल हाईवे 719 पर गणतंत्र दिवस ध्वजारोहण में शामिल होने जा रहे शासकीय कर्मियों के साथ हुआ हादसा भी एक बड़ी चूक हुई। जिसमें एक मनीष सोनी नामक व्यक्ति की मौत हुई है। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची सहायता ने गंभीर घायलों को जिला चिकित्सालय से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें ग्वालियर रेफर कर दिया गया । वहीं प्रशासन दबे शब्दों में यह भी कहता है कि पहले अपना मुख्यालय छोड़ने की आवश्यकता नहीं थी और अगर छोड़ा है तो यह सरासर गलत है इसे भी प्रशासन बड़ी चूक मानता है।
सम्मान की प्रक्रिया में एक प्रशस्ति पत्र के द्वारा जिला प्रशासन ने अपने कर्मचारियों को सम्मानित किया वहीं प्रभारी मंत्री गोविंद राजपूत ने सम्मानित करते हुए सभी लोगों को प्रमाण पत्र भी दिए। लेकिन यहां भी एक बड़ी "चूक" हुई । कलेक्टर साहब ने प्रशस्ति प्रमाण पत्रों पर साइन तो कर दिए लेकिन यह नहीं देख पाए कि गणतंत्र दिवस 73वां है तो 72 वां क्यो लिखा और उन्हीं प्रशस्ति प्रमाण पत्रों को गणतंत्र दिवस के रोज़ बांट भी दिए गया। यहां भी वही सवाल खड़ा हुआ कि प्रशासन से कहीं ना कहीं बड़ी चूक हुई है।
वही प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की रात्रि विश्राम व्यवस्था में एसडीएम महोदय से भी व्यवस्था को लेकर "चूक" हुई है जिस पर उन्हें अच्छी खासी डांट झेलना पड़ी, देखा जाए तो यहां भी कहीं ना कहीं प्रशासन की "चूक" ही है जिसकी चर्चाएं सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से वायरल हो रही है।
अब सवाल ये है क्या प्रशासन इस तरह की गंभीर लापरवाही व "चूकों" से सबक लेगा या यूं ही नजरअंदाज कर आगे चलता बनेगा।
भिंड से हसरत अली की रिपोर्ट।
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