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भिण्ड - शाम ए सुखन काव्य गोष्ठी में कवियों, शायरों ने बांधा समां


भिंड - ( हसरत अली ) - उसको मंजिल पर पहुंचना है सफर से पहले! वो सफर के लिए निकले भी तो घर से पहले! इस गुनगुनाती हुई खूबसूरत ग़ज़ल के शेर सुना कर उर्दू अदब के बेहतरीन शायर महावीर तन्हा ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया. रविवार दोपहर बाद कृष्णा कॉलोनी स्थित शायर हसरत हयात के निवास पर स्वर्गीय अनीशा उर्दू शिक्षा प्रसार समिति के बेनर तले आयोजित की गई शाम ए सुखन काव्य गोष्ठी की बैठक महावीर तन्हा की अध्यक्षता एवं विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर इकबाल अली व मुख्य अतिथि डॉक्टर नदीम खान जीरे नजर शुरू हुई. गोष्टी सर्वप्रथम सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुई. वहीं कवि मुकेश शर्मा ने कविता सुनते हुए कहा..

'मेरे घर के रास्ते में केवल दो व्यवधान रहे.

लोग बहुत निर्मोही थे और हम तुम भी अनजान रहे'.

वही अपनी रचना के माध्यम से चंद्रशेखर कटारे ने कहा... "आओ हिम को गलाएं नदी सा बहे, प्राण में तुम रहो प्राण तुम में रहे".

प्रदीप युवराज ने रचना सुनाई,,,"सो का कै दई बात कका जू. बनी बिगर गईं बात कका जू".

महेंद्र ने मुक्तक के माध्यम से रचना पेश की,,,,"सूरज का आलोक हो या अंधियारी रात. अखियाँ सदा बटोरती इश्वर की सौगात".

वही ग़ज़ल सुनते हसरत हयात ने शेर पढ़े,,, "तुम हजारों हो फिर भी एक नहीं,एक मैं हूं हजार के जैसा. बज रहा हूं सितार के जैसा. वो तसव्वुर करार के जैसा."

काव्य गोष्ठी का संचालन कर रहे अंजुम मनोहर ने कहा..... "द्वारे की छोटी से छोटी बात पर. आदमी आता उतर औकात पर. कोसना किस्मत को जिनकी नियत है. उनको कैसे हो भरोसा हाथ पर."

अंत में आए हुए शायर ओर कवियों का आयोजक ने आभार व्यक्त किया।

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