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भिण्ड - लेकिन मछली के आया है हमेशा जाल हिस्से में - रचना से बांधा समा


भिंड - ( हसरत अली ) - मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर मिहोना कस्बे में लहार रोड स्थित शुक्रवार देर शाम कवि अखिलेश शर्मा के निज निवास पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें नामचीन कवियों ने रचना पाठ कर श्रोताओं को गदगद कर दिया

 सर्वप्रथम बुंदेली लहजे में ग़ज़ल कहने की काबलियत रखने वाले कवि महेंद्र मिहोनवी ने सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया

 इसी दौरान मिहोनवी ने ग़ज़ल के माध्यम से कहा   

"....और छोड़ो अस्पतालों में भी यहां उपलब्ध है

 खुदकुशी की इतनी सुविधा और कहां उपलब्ध है"

वही अखिलेश शर्मा ने रचना पाठ करते  हुए कहा...

 "किसी के झील हिस्से में किसी के ताल हिस्से में.

 लेकिन मछली के आया है हमेशा जाल हिस्से में."


 तदुपरांत संतोष अवस्थी "अंशु" ने कहा...

 "मिल ही गए जब नैन तो फिर क्यों नैन चुराते हो.

 कुछ तो करो खयाल किसी का चैन चुराते हो."


कवि युवराज बाजपेई रचना सुनाई कि.....     

 "गया बीत जब समय पुराना रहे न राजा रानी हैँ,

उनकी भी थी एक कहानी, ये भी एक कहानी हैँ."


गजल सुनाते हुए हसरत हयात ने शेर पढ़े..

"बाद मेहनत के जब भी सुस्ताने बैठता हूं मैं.

 अक्सर खुशियों केसिहाने बैठता हूं मैं 

आपकी बरसात तक एक घर तो बना ही लूंगा,

 रोज बच्चों को यह समझाने बैठता हूं मैं."


संचालन कर रहे अंजूम मनोहर ने कहा....

"दीप जलाते है हम हरदम जो अंधकार को दूर करे।

दीप जलाएं हम अंतस में जो सारा खत्मगुरूर करे।"

अंत मे कवि अखिलेश ने पधारे हुए कवियों का सम्मान के साथ आभार व्यक्त किया.

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